Saturday, April 4, 2009
ऐसी ज्योत जलाऊंगा
ऐसी ज्योत जलाऊंगा ॥
तम का साम्राज्य हटाकर , भाई -भाई में बैर मिटाकर
प्रेम का बिज लगाऊंगा , ऐसी ज्योत जलाऊंगा ||1||
हर कर कर्तब्य निष्ठ होगा , हर नर युधिस्ठिर होगा
नर नारी चलेंगे मिलकर ,केवल तब ही मै,
कामयाबी का गीत गाऊंगा ,ऐसी ज्योत जलाऊंगा ||2||
हर माँ सती सावित्री होगी ,
गएँ भी कामधेनु बनकर , अमृतधारा बरसाएंगी
फिर से रामराज्य लाऊंगा.. , ऐसी ज्योत जलाऊंगा ||३||
पशु -पच्छी और तरुवर मिलकर फिर से झूमेंगे ,
ॐ ॐ का स्वर चहुओर कोटि -कोटि में गूंजेगा
कान्हा बनकर तब मै ,प्रीत की बंसी बजाऊंगा
ऐसी ज्योत जलाऊंगा ||४||
तरणी कुमार
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