Thursday, April 9, 2009

मेरी माँ !!


तारों से रौशनी चुराऊं ,और चाँद से शीतलता लाऊं
उन्मुक्त बादलों से चंचलता लेकर ,तेरा अंचल सजाऊं |

फूलों से खुशबू और समंदर से मौजें लेकर ,
तेरा चरण पखारूँ |

ये तेरा ही दिया जीवन सफल तभी माँ ,
जब मै तुझको तेरा अर्पण कर पाऊं ||

तरणी कुमार

2 comments:

  1. तरनी जी नमस्कार

    आपका ईमेल एड्रेस दें ताकि में आपको एक कोड भेज सकूँ जिससे आपके लेख कोई कॉपी नहीं कर सकेगा ,

    लगातार और अच्छे लेखन के लिए धन्यवाद

    कोई और सहायता लगे तो बताएं
    एक ताला यहाँ से भी ले सकते हैं
    http://tips-hindi.blogspot.com/2008/08/blog-post_29.html
    धन्यवाद
    मयूर

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