Thursday, April 2, 2009

राही रे सुन तो जरा ....................


राही देश के लिए चल, यारा देश के लिए मर
चले चल तुम उन राहों में जिन पर भगत राजगुरु चले
दमन कर बाधाओं का ऐसे झुक जायें कदम तले ,
राही देश के लिए चल यारा देश के लिया मर :1:
मौत एक देखि थी भगत की एक जीवन देखा था ,मरकर जीने वालों का ,
मरने वाले तू भी चुन ले मौत अपनी ,
चाहे मौत भगत सी या जीना बुजदिलों का
राही देश के लिए चल यारा देश के लिया मर :2:
एक अल्हड जवानी देखि मरते हुए दुल्हन के लिए
देखि एक मस्त जवानी दीवानी ,
चुमते मौत को वतन के लिए ,
मरने वाले तू भी चुन ले मौत अपनी .........

तरणी कुमार शर्मा

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