Saturday, April 4, 2009

तेरी याद


जाती हो दूर कहीं
नित दर्शन कैसे पाउँगा ..
रातों में जब भी निहारोगी आइना समझकर चाँद को
उसमे तुम मुझको देख लेना मै तुमको देख लूँगा ||

तरणी कुमार
तारीख २६/०४/२००४

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